Wednesday, December 16, 2009

पाँच देवी दर्शन:वज्रेश्वरी देवी,ज्वालामुखी देवी,चिंतपूर्णी माता

वज्रेश्वरी देवी




वज्रेश्वरी देवी का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के मुख्य नगर काँगड़ा में स्थित है जन साधारण में यह देवी नगकोट या काँगड़ावाली देवी के नाम से विख्यात है यवनों के इतने आक्रमणों के पश्चात यह मंदिर माता वज्रेश्वरी देवी के प्रताप से अक्षत रहा यहाँ पर माता के वक्ष स्थल गिरे है माता की यहाँ पिंडी रूप में पूजा होती है पठानकोट से आनेवाले यात्री लगभग ३ घंटे की यात्रा करके काँगड़ा पहुच सकते है काँगड़ा नगर हिमाचल प्रदेश के सभी नगरो से बस मार्ग द्वारा जुड़ाहै रेल मार्ग से आनेवाले यात्री पठानकोट से छोटी गाड़ी द्वारा पठानकोट-जोगिन्दर रूट पर काँगड़ा मंदिर स्टेशन पर उतरते है मंदिर यहाँ से नजदीक है काँगड़ा नगर ज्वालामुखी से लगभग ३० किलोमीटर दुरी पर पड़ता है.मंदिर के द्वार तक पहुँचने के लिए सीढियाँ चढ़ कर जाना पड़ता है मंदिर के दोनों और प्रसाद और पूजा सामग्री की कई दुकाने है

ज्वालामुखी देवी



ज्वालामुखी देवी का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा में स्थित है
पंजाब राज्य के जिला होशियार पुर से गोपीपुरा डेरा होते हुए डेरा से लगभग २० किमी दुरी पर ज्वाला देवी का मंदिर हैकाँगड़ा से यात्री बस द्वारा २ घंटे में ज्वालाजी पहुँच सकते है दुर्गा सप्तसती के अनुसार यहाँ माता की महा जिव्हां गिरी थी इसे ५१ शक्तिपीठों में सर्वोपरि माना गया है यहाँ माता के दर्शन ज्योति के रूप में होते है यहाँ पर ६ स्थानों पर पर्वत की चट्टानों से निरंतर ज्योति बिना किसी ईधन के प्रज्वल्लित होत्ती रहती है



चिंतपूर्णी माता




चिंतपूर्णी माता अर्थात चिंता को पूर्ण करनेवाली देवी चिंतपूर्णी देवी का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला ऊनामें स्थित है पंजाब के होशियारपुर से कुछ दुरी पर भरवाई बस अड्डे से लगभग ३ किमी की दूरी पर चिंतपूर्णी देवी का मंदिर है माता के यहाँ पिंडी रूप में पूजा होती है यहाँ पर सती के चरण गिरे थे कहते है की चिंतपूर्णी देवी का एक बार दर्शन मात्र करने से समस्त चिन्ताओ से मुक्ति मिलती है इसे छिन्नमस्तिका देवी भी कहते है श्री मार्कंडेय पुराण के अनुसार जब माँ चंडी ने राक्षसों का संहार करके विजय प्राप्त की तो माता की सहायक योगिनियाँ अजया और विजया की रुधिर पिपासा को शांत करने के लिए अपना मस्तक काटकर, अपने रक्त से उनकी प्यास बुझाई इसलिए माता का नाम छिन्नमस्तिका देवी पड़ गया प्राचीन ग्रंथो के अनुसार छिन्नमस्तिका देवी के निवास के लिए मुख्य लक्षण यह माना गया है की वह स्थान चारों और से शिव मंदिरों
से घिरा रहेगा और यह लक्षण चिंतपूर्णी में शत प्रतिशत सत्य प्रतीत होता है क्योकि चिंतपूर्णी मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव,पश्चिम में नर्हारा महादेव,उत्तर में मुच्कुंड महादेव और दक्षिण में शिववाड़ी है मंदिर के प्रांगन में पेड़ के तने पर नाल बाँधकर अपनी मनोकामना देवी से मांगते है















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  2. Chintpurni Temple this is also known as one of the Shakti Peethas in Himachal Pradesh.

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