Thursday, December 3, 2009

देहरादून शहर

देहरादून शहर

हिमालय की पहाड़ियों पर बसा देहरादून भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है। इसे द्रोणाचार्य के शिक्षालय के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर गढ़वाल के शासकों का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है, जिस पर ब्रिट्शों ने कब्जा कर लिया था। यहां तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, आई.आई.पी. आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। स्पेशल बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं।
 दर्शनीय स्थल


तपकेश्वर मंदिर :
यह मंदिर सिटी बस स्टेंड से 5.5 कि.मी. की दूरी पर गढ़ी कैंट क्षेत्र में एक छोटी नदी के किनारे बना है। सड़क मार्ग द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां एक गुफा में स्थित शिवलिंग पर एक चट्टान से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं। शिवरात्रि के पर्व पर आयोजित मेले में लोग बड़ी संख्या में यहां एकत्र होते हैं और यहां स्थित शिव मूर्ति पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।


मालसी डियर पार्क :
देहरादून से 10 कि.मी. की दूरी पर मसूरी के रास्ते में यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है जो शिवालिक श्रंखला की तलहटी में स्थित है। मालसी डियर पार्क एक छोटा सा चिड़ियाघर है जहां बच्चों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा एक पार्क भी विकसित किया गया है। सुंदर वातावरण के कारण यहां ताज़गी का अहसास होता है जिससे यह एक आदर्श दर्शनीय-स्थल और पिकनिक-स्पॉट बन चुका है। सहस्त्रधारा सल्फर मिश्रित पानी का झरना है, जिसका औषधिय महत्व भी है। बाल्डी नदी और यहां की गुफाएं एक रोमांचक दृश्य उत्पन्न करती हैं।  बस स्टेंड से 14 कि.मी. की दूर, यहां नियमित बस सेवा और टैक्सियों द्वारा पहुंचा जा सकता है। यह  पिकनिक के लिए  एक अच्छा स्थान है।

कलंगा स्मारक :
देहरादून-सहस्त्रधारा मार्ग पर स्थित यह स्मारक ब्रिटिशों और गोरखाओं के बीच 180 वर्ष पहले हुए युद्ध में बहादुरी की गाथाएं याद दिलाता है। रिसपाना नदी के किनारे पहाड़ी पर 1000 फुट की ऊंचाई पर बना यह स्मारक गढ़वाली शासकों के इतिहास को दर्शाता है।
लक्ष्मण सिद्ध :
ऋषिकेश की ओर देहरादून से 12 कि.मी. दूर यह एक प्रसिद्ध मंदिर है। किवदंती है कि एक साधु ने यहां समाधि ली थी। मंदिर तक सुलभता से पहुंच होने के कारण विशेषकर रविवार को यहां बड़ी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं।

चन्द्रबदनी  :
देहरादून-दिल्ली मार्ग पर देहरादून से 7 कि.मी. दूर यह मंदिर चन्द्रबदनी(गौतम कुंड) के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर महर्षि गौतम अपनी पत्नी और पुत्री अंजनी के साथ निवास करते थे. इस कारण मंदिर में इनकी पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ग-पुत्री गंगा इसी स्थान पर अवतरित हुई, जो अब गौतम कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाते हैं। मुख्य सड़क से 2 कि.मी. दूर, चारो और से शिवालिक पहाड़ियों के मध्य में यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है।

साई दरबार :
राजपुर रोड पर शहर से 8 कि.मी. की दूरी पर घंटाघर के समीप साई दरबार मंदिर है। इसका बहुत अधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है तथा देश-विदेश से दर्शनार्थी यहं आते हैं। साई दरबार के समीप राजपुर रोड पर ही भगवान बुद्ध का बहुत विशाल और भव्य तिब्बती मंदिर है।

रॉबर्स केव (गुच्छुपानी) :

पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थान रॉबर्स केव सिटी बस स्टेंड से केवल 8 कि.मी. दूर है। हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर लच्छीवाला-डोईवाला से 3 कि.मी. और देहरादून से 22 कि.मी. दूर है। सुंदर दृश्यावली वाला यह स्थान पिकनिक-स्पॉट है। यहां हरे-भरे स्थान पर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए ठहरने की व्यवस्था है।

वन अनुसंधान संस्थान :
घंटा से 7 कि.मी. दूर देहरादून-चकराता मोटर-योग्य मार्ग पर स्थित यह संस्थान भारत में सबसे बड़ा फॉरेस्ट-बेस प्रशिक्षण संस्थान है। जो  तथा इसमें एक बॉटनिकल म्यूजियम भी है। एफआरआई (देहरादून) से 3 कि.मी. आगे देहरादून-तकराता मार्ग पर 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित इंडियन मिलिटरी एकेडमी सेना अधिकारियों के प्रशिक्षण का एक प्रमुख संस्थान है।
एकेडमी में स्थित म्यूजियम, पुस्तकालय, युद्ध स्मारक, गोला-बारुद शूटिंग प्रदर्शन-कक्ष और फ्रिमा गोल्फ कोर्स (18 होल्स) दर्शनीय स्थल हैं।

तपोवन :
देहरादून-राजपुर रोड पर सिटी बस स्टेंड से लगभग 5 कि.मी. दूर स्थित यह स्थान सुंदर दृश्यों से घिरा है। कहावत है कि गुरु द्रोणाचार्य ने इस क्षेत्र में तपस्या की थी।

संतौला देवी मंदिर :
देहरादून से लगभग 15 कि.मी. दूर स्थित प्रसिद्ध संतौला देवी मंदिर पहुंचने के लिए बस द्वारा जैतांवाला तक जाकर वहां से पंजाबीवाला तक 2 कि.मी. जीप या किसी हल्के वाहन द्वारा तथा पंजाबीवाला के बाद 2 कि.मी. तक पैदल रास्ते से मंदिर पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर लोगों के विश्वास का प्रतीक है और इसका बहुत सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
भागीरथ रिज़ार्ट :
सड़क मार्ग द्वारा चकराता से 18 कि.मी. दूर सेलाकी, देहरादून स्थित भागीरथी रिज़ार्ट से हिमालय की पर्वत श्रेणियों का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है। रिजार्ट में बना शांत स्विमिंग पूल, वाटर-स्लाइडें और फव्वारा यात्रियों को आकर्षित करते हैं। पर्वत श्रेणियों की पृष्ठभूमि में बना यह रिज़ार्ट एक आदर्श पर्यटन स्थल है।

वाडिया इंस्टीट्यूट :

जनरल माधवसिंह रोड पर घंटाघर से 5 कि.मी. दूर पहाड़ी के ऊपर स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट उत्तराखंड ग्लेशियर का एक अनोखा म्यूजियम है।

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