Monday, November 30, 2009

हिमाचल प्रदेश; कुल्लू

हिमाचल प्रदेश; कुल्लू

बहुत आकर्षक और सुंदर कुल्लू घाटी ब्यास नदी के दोनों ओर फैली है। यह घाटी नदी के उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है तथा क्षेत्रफल में 80 कि.मी. लंबी और लगभग 2 कि.मी. चौड़ी है। सुंदर घाटियों और बहते जलप्रवाह, पूर्व तथा पश्चिम में छोटी-छोटी नदियों से घिरे घास के मैदान, पर्यटकों ट्रेकिंग और माउंटेनियरिंग के शौकीनों तथा मैदानों की धूल और गर्मी से तंग आए लोगों को आकर्षित करते हैं, जो हिमालय की स्वच्छ हवा में सांस लेना चाहते हैं और पहाड़ों की सुंदर दृश्यावली देखना चाहते हैं। यह घाटी खास तौर पर हाथ की बनी रंगीन शालों और कुल्लू टोपियों के लिए प्रसिद्ध है।
स्मारक एवं दर्शनीय स्थल

बिजली महादेव मंदिर (2460 मी.):

कुल्लू से 10 कि.मी. दूर ब्यास नदी के पार, बिजली महादेव मंदिर, मंदिरों से भरे इस जिले में, एक आकर्षक मंदिर है। 10 कि.मी. लंबे रास्ते से यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर से कुल्लू और पार्वती घाटियों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। बिजली महादेव मंदिर का 60 फुट ऊंचा स्तंभ सूर्य के प्रकाश में चांदी की सुई के समान चमकता दिखाई देता है। कहा जाता है कि यह ऊंचा स्तंभ प्रकाश के रूप में पवित्र आशीष प्रदान करता है। शेष कथा मंदिर के पुजारी से सुनी जा सकती है, जो अविश्वसनीय किंतु सत्य है।
रघुनाथजी मंदिर:

धौलपुर से 1 कि.मी. दूर रघुनाथजी इस घाटी के मुख्य देवता हैं।

वैष्णों देवी मंदिर:
धौलपुर से 4 कि.मी. दूर, एक छोटी सी गुफा में माता वैष्णों देवी का मंदिर है।

कैंपिंग साइट रायसन (1433 मी.):
कुल्लू से 16 कि.मी. दूर प्रकृति के नजारों के बीच यह स्थान छुट्टियां बिताने और यूथ कैंपों के आयोजन के लिए आदर्श है। घाटी के इस भाग में बड़ी संख्या में बागान हैं। हि.प्र.प.वि.नि. ने यहां ठहरने के लिए आरामदेह लॉग-केबिन बनाए हुए हैं।

कटरैन (1463 मी.) :

घाटी का मध्यवर्ती और सबसे खुला क्षेत्र, कटरैन, मनाली के रास्ते में कुल्लू से 20 कि.मी. दूर है। सेब के बागान और ट्राउट-हेचरी यहां के मुख्य आकर्षण हैं। यहां स्थित पातिलकुल्ह सरकारी ट्राउट-फार्म मधुमक्खी पालन के लिए प्रसिद्ध है। यहां हि.प्र.प.वि.नि. के होटलों में ठहरा जा सकता है।
नग्गर (1760 मी.) :
ब्यास नदी के बाएं किनारे पर, नग्गर एक शानदार जंगलों की ढाल पर स्थित एक सुंदर स्थान है। 1400 वर्ष पहले यह तत्कालीन कुल्लू की राजधानी हुआ करता था। यहां बड़ी संख्या में प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें विष्णु, त्रिपुरा सुंदरी एवं भगवान कृष्ण का मंदिर मुख्य हैं। कार और जीपें आसानी से नग्गर कैसल तक जाती है। चंद्रखानी-पास और दूर मलाना घाटी तक जाने के लिए नग्गर एक बेस है।

कासोल (1640 मी.):

कुल्लू से 42 कि.मी. दूर, पार्वती नदी के किनारे, कासोल छुट्टियां बिताने की एक अच्छी जगह है। सुंदर खुले स्थान पर कासोल में पहाड़ी की ढाल पार्वती नदी केदूर तक फैले सफेद रेतीले क्षेत्र तक जाती हैं। यह क्षेत्र ट्राउट-फिशिंग के लिए जाना जाता है।
मनीकरन (1700 मी.) :
कुल्लू से 45 कि.मी. एवं कासोल के मात्र 3 कि.मी. दूर, मनीकरन अपने गर्म पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है। हजारों लोग यहां गर्म पानी के झरनों मे डुबकी लगाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि उसमें दाल, चावल, सब्जी आदि तक पकाए जा सकते हैं। यह स्थान हिंदुओं और सिक्खों के तीर्थस्थलों केरूप में भी प्रसिद्ध है। भगवान राम और शिव मंदिरों के अलावा यहां एक गुरुद्वारा भी है। एक पुरानी कहावत के अनुसार, मनीकरन का नाम भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा है, यहां मां पार्वती के कान की बाली गुम हो गई थी, जिस कारण पार्वती नदी के किनारे गर्म पानी का एक स्रोत बन गया। यहां पुजारियों के मुख से यह कथा सुनना अधिक लाभकारी और आनंददायक है। मंदिरों और गुरुद्वारे में ठहरने की पर्याप्त जगह है। इसके अलावा यहां हि.प्र.प.वि.नि. के होटल में ठहरा जा सकता है।

मलाना (2652 मी.):
सुंदर चंद्रखानी-पास से थोड़ा आगे मलाना गांव है, जो जामलु के मंदिर और अपनी विशेष सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन शैली केलिए जाना जाता है। माना जाता है कि मलाना विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र है। यहां की जीवन-शैली और सामाजिक व्यवस्था को जानने के लिए इस गांव की यात्रा श्रेयस्कर होगी।

बाजौरा :
कुल्लू से 15 कि.मी. पहले बाजौरा मुख्य सड़क पर स्थित है, जहां गांव से लगभग 200 मी. दूर खिले स्थान में मुख्य सड़क और ब्यास नदी के बीच बालेश्वर महादेव मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी के मध्य में बना था।

लार्जी (957 मी.):
कुल्लू के दक्षिण में 34 कि.मी. दूर एक छोटा सा स्थान, जो ट्राउट-फिशिंग के लिए जाना जाता है। यहां एक स्तब्ध कर देने वाले स्थान पर पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस है, जो सैंज और तीर्थन नदियों केसंगम पर बना है, यहां के बाद ये नदियां ब्यास में मिल जाती हैं। इस स्थान पर अधिकांशत: मछली पकड़ने वालों की भीड़ लगी रहती है।

बंजर (1524 मी.):
कुल्लू के दक्षिण में 58 कि.मी. दूर, यह स्थान तीर्थन नदी के जल में मछली पकड़ने के लिए अच्छा माना जाता है।

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